काल भैरव जयंती हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। काल भैरव को न्याय और समय के देवता माना जाता है। उनकी पूजा से बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और भक्तों को साहस और आत्मविश्वास का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भगवान काल भैरव का स्वरूप अद्वितीय और गहन है। वे काले रंग के हैं, जिनके शरीर पर भस्म का लेप और हाथों में त्रिशूल, डमरू और अन्य हथियार हैं। यह रूप रौद्रता और ताकत का प्रतीक है, जो बुराई का अंत कर शांति की स्थापना करता है।
काल भैरव जयंती पर कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और नए अवसरों का मार्ग खुलता है:
काल भैरव की उपासना से साधक को जीवन में साहस, आत्मविश्वास, और सुरक्षा मिलती है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और जीवन में सुरक्षा और समृद्धि की तलाश कर रहे हैं।
काल भैरव मंत्र का जाप करने से बुरे ग्रहों और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है: मंत्र: "ॐ हं कालभैरवाय नमः।"
काल भैरव जयंती पर की गई पूजा और साधना विशेष रूप से फलदायी होती है। यह दिन भैरव भक्तों के लिए अद्भुत और विशेष होता है। इस दिन की पूजा से जीवन में सफलता, शांति, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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