पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं इस दिन रखा जाने वाला व्रत संतान दायक होता है अतः इस व्रत को विधिपूर्वक करने से संतान की रक्षा भी होती है।
सफला एकादशी का महत्व जानें, व्रत कथा, पूजा विधि, नियम और लाभ। सफला एकादशी व्रत से पापों का नाश और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
"अगर आपके घर में पैसा नहीं टिकता है, तो इन ज्योतिषीय उपायों और वास्तु टिप्स को अपनाएं। जानिए धन संचय और आर्थिक स्थिरता के आसान उपाय।"
जानिए काल भैरव जयंती का महत्व, पूजा विधि, और लाभ। इस दिन भगवान काल भैरव की उपासना से जीवन में शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
प्राचीन धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने एक ही बाण के द्वारा उसका अन्त कर दिया था। त्रिपुरासुर एक बहुत ही मायावी और भयानक राक्षस था।
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी (जिसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं) का विशेष महत्व है। यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है, और इसे भगवान विष्णु के चतुर्मास के अंत और उनके जागरण के रूप में मनाया जाता है।
भारत में हर अमावस्या का विशेष महत्व होता है, लेकिन कार्तिक अमावस्या का एक विशेष स्थान है। कार्तिक अमावस्या, जिसे हम दीपावली के दिन भी मनाते हैं
हिंदू धर्म में हरचट (या हरचट्ट) एक पारंपरिक रीति-रिवाज है जो हवन और पूजा-पाठ के समय किया जाता है।
Janmashtami, also known as Krishna Janmashtami or Gokulashtami, is one of the most significant and joyous festivals in the Hindu calendar.
रुद्राभिषेक एक धार्मिक अनुष्ठान है जो हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है।
कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है।
श्रुति पति पादित यज्ञो को श्रौत यज्ञ और स्मृति प्रतिपादित यज्ञो को स्मार्त यज्ञ कहते है।
महामारी जैसे रोगों से मिलती है मुक्ति ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी दीपावली के बाद आती है।
18 अक्टूबर को तुला संक्रांति पर्व रहेगा। इस दिन सूर्य दक्षिण गोल में चला जाता है। सूर्य के बदलाव के कुछ ही दिनों बाद शरद ऋतु खत्म हो जाती है और हेमंत ऋतु शुरू होती है। अब सूर्य 17 नवंबर तक सूर्य तुला राशि में रहेगा।
नवरात्रि में अनुष्ठान कर्ता को स्नान करके पवित्र होकर आसन - शुद्धि करके एक ताम्रपात्र में शुद्ध जल व पूजन सामग्री रखें, ललाट पर भस्म, चन्दन अथवा
Rudraksha has mythologically been given a lot of values for its divine personification of Lord Shiva.
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