विधि
नवरात्रि में अनुष्ठान कर्ता को स्नान करके पवित्र होकर आसन - शुद्धि करके एक ताम्रपात्र में शुद्ध जल व पूजन सामग्री रखें, ललाट पर भस्म, चन्दन अथवा रोली लगा लें शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर तत्व- शुद्धि के लिये चार बार आचमन करें ।
इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरूजनों को प्रणाम करें तत्पश्चात् हाथ में लाल पुष्प अक्षत और लेकर संकल्प करें ।
फिर योनिमुद्रा का प्रदर्शन करके भगवती को प्रणाम करें फिर मूल नवार्णमन्त्र से पीठ आदि में आधारशक्ति की स्थापना करके उसके ऊपर श्रीयंत्र स्थापित करें ।
तत्पश्चात् माता जी और श्री यंत्र का ध्यान, प्रतिष्ठा, आवाहन ,स्नान, चन्दन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, श्रृगारसामग्री, ताम्बूल, दक्षिणा आदि से पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें ।
महत्म
जो भक्त उपरोक्त विधि से माँ भगवती की पूजा आराधना करता है भगवती जगदम्बा उस पर प्रसन्न होकर उसकी इच्छा से अधिक फल प्रदान कर देती हैं ।
वैष्णव, शैव, सौर , और गाणपत्य पुरूष अपने इष्टदेव की शक्ति लक्ष्मी, पार्वती, छाया, तथा ऋद्धि सिद्धि को सन्तुष्ट करने के लिए देवी भगवती का श्रद्धा पूर्वक गुणगान करते हैं ।
सच्चिदानंदरूपां तां गायत्रीप्रतिपादिताम ।
नमामि ह्रींमयीं देवीं घियों यो नः प्रचोदयात् ॥
॥इतिशुभम॥
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